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जनवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आर्य समाज का शुध्दिकरण आंदोलन और मेघ:

आर्य समाज का शुध्दिकरण आंदोलन और मेघ:  यह सभी जानते है कि आर्य समाज की स्थापना दयानंद सरस्वती ने की थी। यह विशुद्ध रूप से हिन्दू धर्म का एक सुधारवादी आंदोलन के रूप में सारे भारत में जाना गया और इसका प्रभाव भी पड़ा। यह मात्र प्रचारक रूप ही नहीं बल्कि सामाजिक रूढ़ी वादिता पर प्रहार भी था। कुलमिलाकर इसे एक राष्ट्रवादी नजरिये से देखा गया और जो हिन्दू वर्ण व्यवस्था में नहीं थे या जो उसे नापसंद करते थे या जिन्हें दूसरे धर्म और पंथ पसंद थे, ऐसे अनेकानेक लोगों को घेरकर वापस हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था में उन्हें स्तर प्रदान करने की गवेषणा से लवरेज यह एक जातीय या राष्ट्रवादी आंदोलन था। इसका मंतव्य बढ़ते हुए ईसाई धर्म और मुस्लमान धर्म को रोकना भी था। इसका प्रभाव भी पड़ा, इसे नकारा नहीं जा सकता। दयानंद सरस्वती के बाद सबसे ज्यादा प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में श्रद्धानद जी उभरे थे। श्रद्धानंद जी के और बाबा साहेब डॉ आंबेडकर के बीच कई बार विचारों का आदान प्रदान हुआ। हिन्दू कोड बिल के समय जब बाबा साहेब ने सभी से विचार विमर्श किया तो उनमें श्रद्धानंद जी प्रमुख थे, जिन्होंने बाबा साहेब के मंतव्य ...

राजस्थान की हर एक अनुसूचित जाति की जनसंख्या जनगणना 2001 व जनगणना 2011 के आंकड़े

I am giving here below census figures of individual scheduled castes of Rajasthan, both of census 2001 and that of 2011 for reference and study. यहाँ राजस्थान की हर एक अनुसूचित जाति की जनसंख्या जनगणना 2001 व जनगणना 2011 के आंकड़े आपके ध्यान और अध्ययन के लिए दिए जा रहे है. प्रथम संख्या सन् 2001 की है व दूसरी संख्या 2011 की। सन् 2001 में sc की कुल जन संख्या 96 94 462 थी जो सन् 2011 में एक करोड़ से ऊपर पहुँच गयी व कुल जनसँख्या आंकी गयी-1 22 21 593. जिसमें विभिन्न जातियों की संख्या  के आंकड़े निम्न है. आदि धर्मी: 308 = 412 अहेरी : 2748 = 5567 वादी : 4928 = 15833 बागरी : 40911 = 64334 बैरवा : 931030 = 1260685 बाजगर : 5240 = 911 बलाई : 643189 = 708518 बंसफोड़ : 5903 = 9187 बाओरि : 290399 = 405573 वर्गी : 10739 = 12096 बावरिया : 60121 = 62585 बेड़िया : 3092 = 4833 भांड : 18977 = 25711 भंगी,मेहत्तर,,ओलगाना, रूखी, मलकाना, हलालखोर, लालबेगी, कोरार, झाड़ माली आदि: 375326 = 466315 बिदकिया : 70 = 456 बोला : 402 = 2397 चमार,( चमार, भांभी, बाम्भी, जटिया, जाटव, जाटवा, मोची, रैदास, ...

जातिवाद मिटाने का वातावारण बनाईये:- ताराराम गौतम

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संत मत से निकले जितने भी पंथ है-  उनका एक मजबूत आधार समाज में  व्याप्त जातिपरक भेदभाव,  कुरीतियाँ और अन्धविश्वास से  उत्पन्न उर्वरा भूमि थी। परन्तु आज वे  सभी वापस उसी दल-दल में फंस गए।  उसका सबसे बड़ा कारण यही कहा  जा सकता है कि उनका कोई मजबूत  दर्शन-पक्ष नहीं था, जो हर  जिज्ञाषा और प्रश्न का माकूल  जबाब देता। यही कारण है कि दादू,  रैदास, कबीर, सेन, बाबा रामदेव, पलटू , जम्भा या वैष्णव या अन्य विद्रोह  के जितने भी स्वर थे, आज नाम भर के रह गए है। उनका मिशन पुन:  ब्राह्मणवादी जातिपरक व्यवस्था  की दल-दल में धंस गया और वैदिक या  सनातनी लोगों से ज्यादा इनकी  बांगे सुनाई देती है। नया मुल्ला जोर  से बांग देता है- मुहावरा सार्थक।  आजकल ये सभी बिगड़े हुए रूप में मौजूद है। जो अपना मूल आधार भूल चुके है और  भूलभुलैया में खो चुके है। वैदिक धर्म के  विरोध में उभरे ये पंथ आज पुनः वैदिक दल दल में धंस चुके है। दूसरा कोई इनका  सुधार नहीं कर सकता। इनका अपना  सुधार ये खुद ही कर सकते है । अगर ...

अगर चाहते हो की दुबारा किसी रोहित की हत्या न हो तो सरकार पर दबाव बनाओ

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अगर चाहते हो की दुबारा किसी रोहित की हत्या न हो तो सरकार पर दबाव बनाओ की वो रिजर्वेशन की खाली पड़ी सीट पर 1 महीने के अंदर नियुक्तिया करे ताकि आरक्षित वर्ग के मनुवादी लोग ऐसा घिनोना खेल न खेल सके। दोस्तों अगर रोहित के collage मैं भी आरक्षित वर्ग के शिक्षक होते जो उसको सपोर्ट करते तो आज ऐसा नहीं होता। ऐसे तो न जाने कितने हादसे होते है जहा आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली छात्रो को आत्महत्या के नाम पर मार दिया जाता है और कोई खबर तक नहीं होती। IIT और ऐसे ही बड़े संसथान इनका प्रमुख केंद्र है। आज भी IIT मैं sc/st वर्ग के लोगो को 2 या 3 सेमिस्टर मैं अयोग्य साबित करते बाहर कर दिया जाता है । हमारे वर्ग के लोग IAS/PCS DOCTOR तो बन जाते है पर IIT से इंजीनियरिंग नहीं कर पाते क्यों? ऐसे और भी बहुत से सवाल है जिनका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। इन सब समस्याओ का एक ही हल है की शिक्षा वयवस्था मैं अपनी भागीदारी बढ़ाओ। इसके लिए एक आंदोलन करना होगा और जिसकी सुरुवात आज ही होनी चाहिए। कृपया इस सन्देश को आगे भी प्रसारित करे। धन्यवाद जय भीम।

मेघ समुदाय में मेघों के धर्म के विषय पर टिप्पणी -ताराराम

मेघ समुदाय में मेघों के धर्म के विषय पर कुछ कहना टेढ़ी खीर है. यदि किसी को अपने धर्म के बारे में  ठीक-ठीक नहीं मालूम तो आप उससे क्या अपेक्षा रखेंगे. यह विषय गहन गंभीर है क्योंकि-  (1) धर्म व्यक्ति की नितांत व्यक्तिगत चीज़ है, इसे वह सब के सामने नहीं भी रखना चाहता. (2) भय के कारण वह सबके सामने वही रखता है जो लोक में प्रचलित है या कमोबेश स्वीकृत है.  विभिन्न लोगों की आपसी बातचीत से कुछ तथ्य सामने आए जिन्हें नीचे संजोया गया है.  1. मेघ अपने धर्म का इतिहास तो दूर वे अपना इतिहास तक नहीं जानते. जो थोड़े-बहुत जानते हैं वे -  टुकड़ों में जानते हैं. उलझन में पड़े हैं. बहुत से पढ़े-लिखे (literate) हैं लेकिन शिक्षित (educated) कम हैं. वे इस विषय में तर्क नहीं कर पाते और भावनाओं की मदद लेते हैं. ऐसा भी नहीं है कि तर्क योग्य बिंदुओं का अभाव है परंतु यह सत्य है कि शिक्षा और आर्थिक स्रोतों की कमी के कारण उनमें से अधिकतर उन तर्क बिंदुओं तक पहुँच नहीं पाते. दोष किसका है?  2. हालाँकि व्यक्ति के धर्म और लोक धर्म में कई बातें समान हो सकती हैं. उनके बारीक ताने-बाने को बुद्धिज...

मेघवंश : इतिहास और संस्कृति भाग 2 - लेखक- ताराराम पुस्तक-सार

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मेघवंश : इतिहास और संस्कृति - लेखक- ताराराम पुस्तक-सार  भारत में अनगिनत जातियाँ हैं. अनुसूचित जातियों की संख्या भी बहुत बड़ी है जो 6000 से अधिक नामों में  बँटी हुई हैं. ’मेघ‘ जाति 10 राज्यों और 2 केन्द्र शासित क्षेत्रों में अधिसूचित अनुसूचित जाति है. 8 राज्यों में यह ’मेघ‘ नाम से अधिसूचित है. छतीसगढ़ व मध्यप्रदेश में यह केवल ‘मेघवाल‘ नाम से अधिसूचित है. महाराष्ट्र में मेघवाल व मेंघवार नाम से, गुजरात में मेघवार, मेघवाल व मेंघवार नाम से तथा राजस्थान में ‘मेघ‘ के साथ मेघवल, मेघवाल और मेंघवाल के नाम से अधिसूचित है. जम्मू-कश्मीर में मेघ व कबीर पंथी के नाम से अधिसूचित है. कश्मीर से लेकर कोयम्बटूर तक कोई भी ऐसा प्रदेश नहीं है जहाँ यह जाति अधिसूचित नहीं है. यह संपूर्ण भारत के विस्तृत भू-भाग में निवास करने वाला एक प्राचीन समाज है. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पं. बंगाल और पूर्वी राज्यों में यह अनुसूचित जातियों में शुमार नहीं है. दक्षिण में केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और उड़ीसा में भी मेघ अनुसूचित जातियों में शुमार नहीं है. जिन प्रदेशों में यह जाति अधिसूचित नहीं है, वहाँ भी इस जाति क...

100 लोगो की सूची मे डॉ अंबेडकर जी प्रथम विश्व रत्न बाबा साहब

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आज हम डॉ. अम्बेडकर के एक ऐसेचमत्कार और उस दौर की बात कर रहे है जो समय उन्होने न्यूयार्क,  अमेरिका में 1913 से 1916 के बीच कोलम्बिया युनिवर्सिटी मेंबिताया ।ऐसा डॉ. अम्बेडकर और बड़ोदा महाराज के बीच हुऐ करार से सम्भव हो पाया जिसके अन्तर्गत 10 वर्षों तक रियासत की सेवा करने का करार। जिसके तहत डॉ. अम्बेडकर को उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका भेजना तय हुआ । बीसवीं शताब्दी में डॉ. अम्बेडकर ऐसे प्रथम श्रेणी के राजनेताओं में पहले व्यक्ति थे । जिन्होने अमेरिका जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की ।जून 1916 में उनके द्वारा किये गये शोध ‘‘नेशनल डिविडेन्ड इन इण्डिया ए हिस्टोरिक एण्ड ऐनेलेटिक स्टेडी’’ पर शोध विश्वविद्यालय में प्रस्तुत किया । जिस पर डॉ. अम्बेडकर को (डॉक्टर ऑफ फिलोसॉफी) पी. एच. डी. की उपाधि से सम्मानित किया गया । डॉ. अम्बेडकर कि इस सफलता से प्रेरित होकर ‘‘कला संकाय के प्राध्यापकों और विद्यार्थीयों’’ ने एक विशेषभोज देकर डॉ. अम्बेडकर का सम्मान किया जो महान व्यक्ति अब्राहन लिंकन व वांशिगटन की परम्परा का अनुसरण था । ‘‘इस शोध प्रबंध में  डॉ. अम्बेडकर ने बिट्रिशसरकार द्वारा भारत के आर्थिक शोषण क...