मेघ चेतना में प्रकाशित आलेख: मेदे (Mede) : मद्र (Madra) : मेग/मेघ (Meg/Megh) लेखक : ताराराम जोधपुर (राजस्थान)
मेघ चेतना में प्रकाशित आलेख: मेदे (Mede) : मद्र (Madra) : मेग/मेघ (Meg/Megh) लेखक : ताराराम जोधपुर (राजस्थान) सतलुज नदी के मुहानों और उसके आसपास के इलाकों में पुराने समय से बसी हुई जाति को रामायण, महाभारत, पुराण और अन्य संस्कृत व पालि साहित्य में मद्र कहा गया है. सभी स्रोतों से यह स्पष्ट है कि प्राचीन काल में मद्र लोग शुतुद्रु नदी के किनारे भी बसे हुए थे, जिसे आजकल सतलुज नदी कहते हैं. शुतुद्रू के नाम से सतलुज नदी का वर्णन ऋग्वेद में दो बार हुआ है. (ऋग्वेद, 3.33.1 व 10.75.5) वाल्मीकि रामायण में इस नदी के लिए शतद्रु शब्द का प्रयोग हुआ है. (वाल्मीकि कृत रामायण, 2.71.2), जिसका अर्थ किय...