Ramdev
अवतारवाद के शिकार क्रान्तिकारी बाबा रामदेव मेघवाल...
अवतार साबित करने के पिछे सबसे बङा हाथ हरजी भाटी का है। देखा जाए तो हरजी भाटी का जन्म बाबा रामदेव जी के समाधी लेने के ठिक 303 साल बाद हुआ था। हरजी भाटी ने बाबा रामदेव जी पर एक आरती लिखी जो आज बाबा रामदेव जी के मन्दिर मे गायी जाती है। आरती के शब्द इस प्रकार है। "पिछ्म धरा छु म्हारा पिर जी पधारेया घर अजमल अवतार लियो लाछा सुगना करे हरी री आरती हरजी भाटी चँवर ढोले।अब इसमे सवाल उठता है।कि रामदेव जी के समाधी के 303 साल बाद हरजी भाटी का जन्म हुआ तो वे लाछा सुगना के साथ चँवर केसे ढोला...और पुरी आरती मे ङाली बाई का नाम तक नही बोला अब आप ही बताए यह केसे सम्भव हुआ बाबा रामदेव जी और हरजी भाटी का मिलन भी बताते है।क्या इस बात का प्रमाण है।किसी के पास॥बाबा रामदेव जी के समाधी लेने के बाद 250 साल तक उच्च जाती के लोग बाबा के अनुयायी क्यु नही बने।और ही हरजी के समयकांल से पहले कौई भजन वाणी मे बाबा के अवतार चुनने को नही मिलता क्युकि सबको पता था की बाबा रामदेव जी ने अवतार नही मेघवाल समाज मे जन्म लिया है।ईसलिए तो सुगना के ससुराल वाले बाबा से नफरत करते थे। फिर हरजी भाटी ने बाबा को अवतार बताने मे कोई कसर नही छोङी ओर बाबा के अवतार का झुठा प्रचार किया इसकी वजह से बाबा रामदेव पर अवतार का नकाब चङा गया...और आज सब अवतार की राग अलाप ते है। झुठ पे झुठ एक ओर गीत आज बहुत चुनने को मिलता है। बाबा रामदेव परणावे तुम परणो हरजी भाटी...मे पुछता हु क्या यही गीत सत्य हो सकता है।303 बाद बाबा रामदेव जी को हरजी भाटी के साथ।॥अवतार साबित नही होता क्युकि 1950 से पहले पिछङी जातिया sc/st को शिक्षा पर प्रतिबंध था।इसलिए शिक्षित न होने कि वजह से अवतार का विरोध नही कर सके।लेकिन हमारे मेघ मोखिक गायक और मेघ भजन वाणी मे बाबा के जन्म के सत्य को पीढी दर पीढी सँजोय रखा ॥ इसी प्रमाणो पर इस सत्य को उजागर किया राम प्रकाश जी ने।ओर बाबा रामदेव जी पर सत्य पुस्तक लिखी ।सिर्फ पुस्तक ही नही जोधपुर कोर्ट से मुकदमा भी जीत लिया।ओर सत्य को साबित किया कि बाबा रामदेव जी मेघवाल थे।बाबा रामदेव जी के पिता जी सायर जी जयपाल और माता मँगनी देवी था।ङाली बाई बाबा की सगी बहन थी।आज भी इतिहासकार इस सत्य को उजागर कर रहै है।
सायर सुत मँगनी रा जाया।
वारी महिमा भारी॥
अजमल जी ने भेट कियो
सुत सायर ने बलहारी।
मेघ रिखा सँग अजमल जी रा।
भाग जाग्या भारी
दुनिया जाणे रामदेव जी
अजमल घर अवतारी।
प्रकट नही हुआ पीर जी आया जन्म धार॥
बाबा रामदेव
जी को अवतार बताने मे पुरा श्रेय हरजी भाटी को जाता है ।स्वर्ण भक्त हरजी भाटी के गुरु कोन थे।इस पर अब तक इतिहासकारो की कलम मौन क्यु है।क्युकि हरजी भाटी कि वाणीयो मे गुरु स्पष्टता नही झलकती है
हरजी भाटी के गुरु ...माँ देवु
मेघवँशी को बताते हुऐ लोग गाते है
कि ...
देवु देवी तिण रही ताणो .
हरजी हँदो भरम मिटाणो !
जा लागो अजबा रै पाय
थारे दिल रो भरम परेरो जाये।यह
पक्तिया कहाँ मेल खाती है।
ओसिया तहसिल मे बापीणी गाँव
की देवूँ मेघवँशिय गोदा गोत्र
की थी ..उनके पति अजबा जी पँवार
थे ..अजबा जी धारु मेघ के बङे भाई
थे ..अजबा जी के देहाँत पशचात
माता देवु अपने पीहर बापिणी मे रहते
हुऐ समाधि ली
इस प्रकार माँ देवु हरजी भाटी के
समकालिन न होकर धारु मेघ व
बाबा रामदेव के समकालिन
थी ..तो फिर वो हरजी भाटी की गुरु
केसे बनी ..
जबकि देवुँ तो बाबा रामदेव
की पङदा गुरुँ थी इसका एक ठोस
प्रमाण है
बाबा रामदेव की स्वरचित "निरँजण
प्रमाण" वाणी मे बाबा ने खुद कहा है
कि ...
सिद्ध रामदे सत्त कर भाखे .
अपणा जीवाँ ने शरणे राखे !
देवायत पँवार धारु साखी .
माता देवुँ वचन मुख भाखी !!
फिर केसे सँभव है कि जो माता देवु
बाबा रामदेव की पङदा गुरु 14
वी शताब्दि मे
हुई ..वो 17वी शताब्दी मे हुऐ
हरजी भाटी की गुरु केसे हुई ? क्या ये
मेघो के सँत इतिहास को तोङ मरोङने
का प्रयाश नही है ?क्या ।
हरजी भाटी की गुरु माता देवु न होते
हुऐ भी लोग भुलवँश गा रहे है कि .. देवु
देवी तिण रही ताणो .
हरजी हँदो भरम मिटाणो !
जा लागो अजबा रै पाय
थारो दिल रो भरम परैरो जाय !!
इस पर विचार किया जाए
अवतार साबित करने के पिछे सबसे बङा हाथ हरजी भाटी का है। देखा जाए तो हरजी भाटी का जन्म बाबा रामदेव जी के समाधी लेने के ठिक 303 साल बाद हुआ था। हरजी भाटी ने बाबा रामदेव जी पर एक आरती लिखी जो आज बाबा रामदेव जी के मन्दिर मे गायी जाती है। आरती के शब्द इस प्रकार है। "पिछ्म धरा छु म्हारा पिर जी पधारेया घर अजमल अवतार लियो लाछा सुगना करे हरी री आरती हरजी भाटी चँवर ढोले।अब इसमे सवाल उठता है।कि रामदेव जी के समाधी के 303 साल बाद हरजी भाटी का जन्म हुआ तो वे लाछा सुगना के साथ चँवर केसे ढोला...और पुरी आरती मे ङाली बाई का नाम तक नही बोला अब आप ही बताए यह केसे सम्भव हुआ बाबा रामदेव जी और हरजी भाटी का मिलन भी बताते है।क्या इस बात का प्रमाण है।किसी के पास॥बाबा रामदेव जी के समाधी लेने के बाद 250 साल तक उच्च जाती के लोग बाबा के अनुयायी क्यु नही बने।और ही हरजी के समयकांल से पहले कौई भजन वाणी मे बाबा के अवतार चुनने को नही मिलता क्युकि सबको पता था की बाबा रामदेव जी ने अवतार नही मेघवाल समाज मे जन्म लिया है।ईसलिए तो सुगना के ससुराल वाले बाबा से नफरत करते थे। फिर हरजी भाटी ने बाबा को अवतार बताने मे कोई कसर नही छोङी ओर बाबा के अवतार का झुठा प्रचार किया इसकी वजह से बाबा रामदेव पर अवतार का नकाब चङा गया...और आज सब अवतार की राग अलाप ते है। झुठ पे झुठ एक ओर गीत आज बहुत चुनने को मिलता है। बाबा रामदेव परणावे तुम परणो हरजी भाटी...मे पुछता हु क्या यही गीत सत्य हो सकता है।303 बाद बाबा रामदेव जी को हरजी भाटी के साथ।॥अवतार साबित नही होता क्युकि 1950 से पहले पिछङी जातिया sc/st को शिक्षा पर प्रतिबंध था।इसलिए शिक्षित न होने कि वजह से अवतार का विरोध नही कर सके।लेकिन हमारे मेघ मोखिक गायक और मेघ भजन वाणी मे बाबा के जन्म के सत्य को पीढी दर पीढी सँजोय रखा ॥ इसी प्रमाणो पर इस सत्य को उजागर किया राम प्रकाश जी ने।ओर बाबा रामदेव जी पर सत्य पुस्तक लिखी ।सिर्फ पुस्तक ही नही जोधपुर कोर्ट से मुकदमा भी जीत लिया।ओर सत्य को साबित किया कि बाबा रामदेव जी मेघवाल थे।बाबा रामदेव जी के पिता जी सायर जी जयपाल और माता मँगनी देवी था।ङाली बाई बाबा की सगी बहन थी।आज भी इतिहासकार इस सत्य को उजागर कर रहै है।
सायर सुत मँगनी रा जाया।
वारी महिमा भारी॥
अजमल जी ने भेट कियो
सुत सायर ने बलहारी।
मेघ रिखा सँग अजमल जी रा।
भाग जाग्या भारी
दुनिया जाणे रामदेव जी
अजमल घर अवतारी।
प्रकट नही हुआ पीर जी आया जन्म धार॥
बाबा रामदेव
जी को अवतार बताने मे पुरा श्रेय हरजी भाटी को जाता है ।स्वर्ण भक्त हरजी भाटी के गुरु कोन थे।इस पर अब तक इतिहासकारो की कलम मौन क्यु है।क्युकि हरजी भाटी कि वाणीयो मे गुरु स्पष्टता नही झलकती है
हरजी भाटी के गुरु ...माँ देवु
मेघवँशी को बताते हुऐ लोग गाते है
कि ...
देवु देवी तिण रही ताणो .
हरजी हँदो भरम मिटाणो !
जा लागो अजबा रै पाय
थारे दिल रो भरम परेरो जाये।यह
पक्तिया कहाँ मेल खाती है।
ओसिया तहसिल मे बापीणी गाँव
की देवूँ मेघवँशिय गोदा गोत्र
की थी ..उनके पति अजबा जी पँवार
थे ..अजबा जी धारु मेघ के बङे भाई
थे ..अजबा जी के देहाँत पशचात
माता देवु अपने पीहर बापिणी मे रहते
हुऐ समाधि ली
इस प्रकार माँ देवु हरजी भाटी के
समकालिन न होकर धारु मेघ व
बाबा रामदेव के समकालिन
थी ..तो फिर वो हरजी भाटी की गुरु
केसे बनी ..
जबकि देवुँ तो बाबा रामदेव
की पङदा गुरुँ थी इसका एक ठोस
प्रमाण है
बाबा रामदेव की स्वरचित "निरँजण
प्रमाण" वाणी मे बाबा ने खुद कहा है
कि ...
सिद्ध रामदे सत्त कर भाखे .
अपणा जीवाँ ने शरणे राखे !
देवायत पँवार धारु साखी .
माता देवुँ वचन मुख भाखी !!
फिर केसे सँभव है कि जो माता देवु
बाबा रामदेव की पङदा गुरु 14
वी शताब्दि मे
हुई ..वो 17वी शताब्दी मे हुऐ
हरजी भाटी की गुरु केसे हुई ? क्या ये
मेघो के सँत इतिहास को तोङ मरोङने
का प्रयाश नही है ?क्या ।
हरजी भाटी की गुरु माता देवु न होते
हुऐ भी लोग भुलवँश गा रहे है कि .. देवु
देवी तिण रही ताणो .
हरजी हँदो भरम मिटाणो !
जा लागो अजबा रै पाय
थारो दिल रो भरम परैरो जाय !!
इस पर विचार किया जाए
Thanks for providing Right information about Sant Ramdev
जवाब देंहटाएंJay baba ri sa
हटाएंnice information sir
जवाब देंहटाएंअतिसुंदर गुरुदेव रामप्रकाश चार्य जी 👌👌👌👌👌👌👌😍😍😍😍🙏🙏🙏🙏💪💪💪💪
जवाब देंहटाएंJai babe ri
जवाब देंहटाएंमलतब कुछ भी मूलशोध लिख लोगे और दुनिया विश्वास कर लेगी? ग़ज़ब हो रे भाई
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